गुरुवार, 21 जनवरी 2010

किसकी नजर लगी तुझे..............
अरविन्द कुमार सेन
नई दिल्ली,23 नवम्बर। राजनीतिक बहसों के घमासान और अपनी ‘नाइट कल्चर’ के लिए प्रसिद्ध जेएनयू पर आजकल बुरी नजर लग गई है। जिस गंगा ढाबे पर कभी चाय की प्याली में तूफान खड़ा कर दिया जाता था, वहां आजकल शैम्पेन के पैग छलकाएं जा रहे है। जिस जेएनयू की लड़कियां दिन हो या रात ,परिसर में बेरोकटोक घूमती थी वो अब आवारागर्दी से परेशान है।
एक के बाद एक होने वाली घटनाएं इस बात की गवाह है कि अराजक तत्त्वों की नजर जेएनयू को लग चुकी है। बिगड़ैल रईसजादे कैंपस में आकर शराब पीते है और उसके बाद लड़कियों से छेड़खानी अपना अधिकार समझते है। हाल ही में चार बाहरी युवको ने कैंपस में जमकर उत्पात मचाया। चारों ने पहले जमकर शराब पी और उसके बाद लड़कियों से छेड़छाड़ करने लगे। विरोध करने पर पिस्टल निकालकर तान दी। जेएनयू में अब ऐसी घटनाएं आम हो गई है। अभी कुछ दिन पहले ही दो लड़को ने शराब पीकर 24*7 ढाबे पर हुड़दंग मचाया और लड़कियों को परेशान किया था। इससे पहले ताप्ती छात्रावास परिसर, पार्थसारथी चट्टान परिसर (पीएसआर) और पूर्वांचल परिसर में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी है।
अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों मौज-मस्ती के लिए जेएनयू को ही चुना जाता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जेएनयू का विशाल हराभरा परिसर और शांत माहौल है। अराजक तत्त्वों को गोश्त और शराब की दावत के लिए जेएनयू सबसे सुरक्षित जगह लगता है। जब से सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने संबंधी नया कानून लागू हुआ है, यहां आने वालो की तादाद काफी बढ गई है। अंतराष्ट्रीय अध्ययन केन्द्र की छात्रा गरिमा का कहना है कि ज्यादातर लोग लड़कियों से छेड़छाड़ करने के लिए आते है। कैंपस में बेफिक्र होकर घूमने की आदी लड़कियां इन मनचलों का आसान शिकार बनती है। हालांकि विश्वविधालय के मुख्य गेट पर जांच की जाती है लेकिन रविवार को बड़ी संख्या में लोगों के आने के कारण सबकी तलाशी संभव नही है।
जेएनयू प्रशासन और पुलिस इन घटनाओं को रोकने में नाकाम रहे है। अपनी सामाजिक संवेदनशीलता और राजनीतिक जागरूकता के लिए जाना जाने वाला जेएनयू धीरे-धीरे शराब, शबाब और कबाब के अड्डे में तब्दील होता जा रहा है। परिसर की गरिमा बनाये रखने के लिए पुलिस और जेएनयू प्रशासन को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

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